Sunday, May 9, 2010

कौतूहल : एक स्रोत




कौतूहल : एक स्रोत
प्रश्न : एक बहाव
खोज : एक निकास
विवेक
भाव
उत्तर
निदान
बस एक उछाल !!

किसी लहर का द्वीप की ओर
पकड़ने अज्ञात छोर .

अपने मुहाने खुद बनाती है धार -
रेत को उठाकर
बैठाकर
बहाकर
टकराकर
बिखराकर !

एक हिलोर पर हिलोर
क्षण-क्षण की डोर -
हवा को नदी की चादर पर समतल करती ,
अपने आवेग के साथ ले जाती -
बस एक सतत प्रवाह
अविराम ! अविराम ! अविराम !

शिलाओं पर सिर धरकर
पूजती
अर्घ्य देती
समय को चिह्नित करती
निकल जाती है
प्रगल्भा !

पीछे रह जाता है
पनार का बाँकपन
दहाना
उत्स
और
एक कौतूहल
प्रश्न
खोज
विवेक , भाव , उत्तर , निदान
और
समय का फेंका उछाल!!

अपर्णा

No comments:

Post a Comment