
कौतूहल : एक स्रोत
प्रश्न : एक बहाव
खोज : एक निकास
विवेक
भाव
उत्तर
निदान
बस एक उछाल !!
किसी लहर का द्वीप की ओर
पकड़ने अज्ञात छोर .
अपने मुहाने खुद बनाती है धार -
रेत को उठाकर
बैठाकर
बहाकर
टकराकर
बिखराकर !
एक हिलोर पर हिलोर
क्षण-क्षण की डोर -
हवा को नदी की चादर पर समतल करती ,
अपने आवेग के साथ ले जाती -
बस एक सतत प्रवाह
अविराम ! अविराम ! अविराम !
शिलाओं पर सिर धरकर
पूजती
अर्घ्य देती
समय को चिह्नित करती
निकल जाती है
प्रगल्भा !
पीछे रह जाता है
पनार का बाँकपन
दहाना
उत्स
और
एक कौतूहल
प्रश्न
खोज
विवेक , भाव , उत्तर , निदान
और
समय का फेंका उछाल!!
अपर्णा
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